शब्द का अर्थ
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अजग :
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पुं० [सं० अज√ गम् (जाना) +ड) १. शिव का धनुष। २. विष्णु। ३. अग्नि का रथ। ४. सूर्य की किरण। |
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समानार्थी शब्द-
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अजग़बी :
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वि० (फा० +अ०) १. आकाश से अथवा आकस्मिक रूप से आने या होने वाला। २. दैवी। ३. आकस्मिक। |
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अजगर :
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पुं० [सं० अज=बकरी√गृ (निकलना) +अच्) एक प्रकार का बहुत मोटा और भारी साँप जो भेड़ बकरियों तक को निगल जाता है। (इसकी अनेक जातियाँ होती हैं।) |
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अजगरी :
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वि० [सं० अजगरीय) अजगर-संबंधी। जैसे—अजगरी वृत्ति। स्त्री० अजगर की सी वृत्ति, जिसमें कोई काम-धंधा किये बिना आदमी चुपचाप खाता रहता है। |
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अजगव :
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पुं० [सं० अजग+व) शिव का धनुष। पिनाक। |
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अजगुत :
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वि० [सं० अयुक्त) १. जो युक्तिसंगत न हो। बेमेल। २. अद्भुत। विलक्षण। ३. अनुपम। बेजोड़। |
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अजगुतहाया :
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वि० (हिं० अजगुत+हाया (प्रत्यय) (स्त्री० अजगुतहायी) आश्चर्यजनक और अनोखा। विचित्र। विलक्षण। |
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अजगूता :
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वि० दे० ‘अजगुत'।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अजगैब :
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क्रि० वि० (फा० अज (=से) +अ०गैब=परोक्ष, आकाश) १. अलक्षित या परोक्ष स्थान से। २. आकाश से। ३. दैव की ओर से।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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