शब्द का अर्थ
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आला :
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पुं० [सं० आलय, आलवाल, पा० आलक, कन्न, आलि० गु० आलियो, मरा० आलें] १. दीवार में थोड़ा-सा खाली छोड़ा हुआ वह स्थान जिसमें छोटी-मोटी चीजें रखी जाती है। ताक। ताखा। पुं० [सं० अलात] कुम्हार का आँवाँ। पजावा। वि० [सं० ओल-गीला] १. गीला। तर। नम। २. ताजा। ३. कच्चा और हरा। उदाहरण—आले ही बाँस के माँडव मनिगन पूरन हो।—तुलसी। पुं० [अ० आलः] कारीगरों के काम करने के कोई उपकरण। औजार। वि० [अ० आला] ऊँचे दरजे का और बढ़िया। श्रेष्ठ। |
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समानार्थी शब्द-
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आलाइश :
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स्त्री० [फा०] पेट के अँदर से या शरीर के किसी अंग में से निकलनेवाली गंदी चीजें। जैसे—पीब, मल, रक्त आदि। |
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आलात :
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पुं० [सं० अलात+अण्] ऐसी लकड़ी जिसका एक सिरा जल रहा हो। लुआठी। लुक। पुं० [सं० आल० का० बहु] १. उपकरण। औजार। २. जहाज का रस्सा। (लश०)। |
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आलात-चक्र :
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पुं० [ष० त०] जलती हुई लक़ड़ी को वेग से घुमाने पर उससे बननेवाला चमकीला मंडल। |
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आलान :
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पुं० [सं० आ√ली+ल्युट्-अन] १. वह खूँटा या खंभा जिसमें हाथी बाँधा जाता है। २. हाथी बाँधने का रस्सा या सिक्कड़। ३. बाँधने की रस्सी आदि। |
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आलाप :
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पुं० [सं० आ√लप्(बोलना)+घञ्] १. कहना। बोलना। २. आपस में होनेवाली बात-चीत। जैसे—वार्तालाप। ३. चिड़ियों की चहचहाट। ४. संगीत में राग-रागिनों के गाने का वह विशिष्ठ आरंभिक अंश या प्रकार जिसमें तानयुक्त स्वरों में केवल धुन का प्रदर्शन होता है, गीत के बोलों का उच्चारण नहीं होता है। |
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आलापक :
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वि० [सं० आ√लप्+ण्वुल्-अक] आलाप या बातचीत करनेवाला। २. संगीत में स्वरों का आलाप करनेवाला। |
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आलापचारी :
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स्त्री० [सं० आलाप-चार] संगीत में, स्वरों का आलाप करने की क्रिया। |
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आलापना :
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स० =अलापना |
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आलापित :
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भू० कृ० [सं० आ√लप्+णइच्+क्त] १. कहा हुआ। कथित। २. संगीत में, आलाप के रूप में उच्चरित किया हुआ। ३. गाया हुआ। |
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आलापिनी :
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स्त्री० [सं० आलाप+इनि-ङीष्] बाँसुरी। बंसी। |
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आलापी (पिन्) :
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वि० [सं० आलाप+इनि वा आ√लप्+णिनि] [स्त्री०आलापिनी] =आलापक। |
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आलारासी :
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वि० [सं० आलस्य ?] १. आलसी। २. ला-परवाह। स्त्री० ऐसी अव्यवस्थित स्थिति जिसमें कही किसी की चिंता या पूछ न हो। |
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आलावर्त्त :
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पुं० [सं० आल-आ√वृत्त (बरतना)+णिच्+अच्] कपड़े का बना हुआ या कपड़े से मढ़ा हुआ पंखा। |
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