शब्द का अर्थ
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उपल :
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पुं० [सं० उप√ला (लेना)+क] १. पत्थर। २. ओला। ३. बादल। मेघ। ४. जवाहर। रत्न। ५. बालू। रेत। ६. चीनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपल :
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पुं० [सं० उप√ला (लेना)+क] १. पत्थर। २. ओला। ३. बादल। मेघ। ४. जवाहर। रत्न। ५. बालू। रेत। ६. चीनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलक्ष :
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पुं० [सं० उप√लक्ष् (देखना)+घञ्] =उपलक्ष्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलक्ष :
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पुं० [सं० उप√लक्ष् (देखना)+घञ्] =उपलक्ष्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलक्षक :
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वि० [सं० उप√लक्ष्+ण्वुल्-अक] १. निरीक्षण करनेवाला। २. अनुमान करनेवाला। पुं० साहित्य में किसी वाक्य के अंतर्गत वह शब्द जो उपादान लक्षणा से अपने वाक्य के सिवा अपने वर्ग की अन्य बातों या वस्तुओं का भी उपलक्ष्य या बोध कराता हो। जैसे—देखो बिल्ली दूध न पी जाए। में बिल्ली शब्द से कुत्ते, नेवले आदि की ओर भी संकेत होता है, अतः ‘बिल्ली’ यहाँ उपलक्षक है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलक्षक :
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वि० [सं० उप√लक्ष्+ण्वुल्-अक] १. निरीक्षण करनेवाला। २. अनुमान करनेवाला। पुं० साहित्य में किसी वाक्य के अंतर्गत वह शब्द जो उपादान लक्षणा से अपने वाक्य के सिवा अपने वर्ग की अन्य बातों या वस्तुओं का भी उपलक्ष्य या बोध कराता हो। जैसे—देखो बिल्ली दूध न पी जाए। में बिल्ली शब्द से कुत्ते, नेवले आदि की ओर भी संकेत होता है, अतः ‘बिल्ली’ यहाँ उपलक्षक है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलक्षण :
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पुं० [सं० उप√लक्ष्+ल्युट-अन] १. ध्यान से देखना। २. किसी लक्षण के प्रकार या वर्ग का कोई गौण या छोटा लक्षण। ३. कोई ऐसी गौण बात जो किसी ऐसे तत्त्व की सूचक हो जिसका स्पष्ट उल्लेख या निर्देश हो चुका हो। ४. दे०‘उपलक्षक’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलक्षण :
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पुं० [सं० उप√लक्ष्+ल्युट-अन] १. ध्यान से देखना। २. किसी लक्षण के प्रकार या वर्ग का कोई गौण या छोटा लक्षण। ३. कोई ऐसी गौण बात जो किसी ऐसे तत्त्व की सूचक हो जिसका स्पष्ट उल्लेख या निर्देश हो चुका हो। ४. दे०‘उपलक्षक’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलक्षित :
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भू० कृ० [सं० उप√लक्ष्+क्त] १. अच्छी तरह देखा-भाला हुआ। २. उपलक्ष्य के रूप में या संकेत से बतलाया हुआ। ३. अनुमान किया हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलक्षित :
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भू० कृ० [सं० उप√लक्ष्+क्त] १. अच्छी तरह देखा-भाला हुआ। २. उपलक्ष्य के रूप में या संकेत से बतलाया हुआ। ३. अनुमान किया हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलक्ष्य :
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पुं० [सं० उप√लक्ष्+ण्यत्] १. वह बात जिसे ध्यान में रखकर कुछ कहा या किया जाए। पद-उपलक्ष्य मेंकोई काम या बड़ी बात होने पर उसका ध्यान रखते हुए। किसी बात के उद्धेश्य से और उसके संबंध में। जैसे—विवाह के उपलक्ष्य में होनेवाला प्रीति-भोज। २. किसी बात का चिन्ह, लक्षण या संकेत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलक्ष्य :
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पुं० [सं० उप√लक्ष्+ण्यत्] १. वह बात जिसे ध्यान में रखकर कुछ कहा या किया जाए। पद-उपलक्ष्य मेंकोई काम या बड़ी बात होने पर उसका ध्यान रखते हुए। किसी बात के उद्धेश्य से और उसके संबंध में। जैसे—विवाह के उपलक्ष्य में होनेवाला प्रीति-भोज। २. किसी बात का चिन्ह, लक्षण या संकेत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलब्ध :
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भू० कृ० [सं० उप√लभ्+क्त] १. प्राप्त या हस्तगत किया हुआ। मिला हुआ। २. अनुमान, निष्कर्ष आदि के आधार पर जाना या समझा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलब्ध :
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भू० कृ० [सं० उप√लभ्+क्त] १. प्राप्त या हस्तगत किया हुआ। मिला हुआ। २. अनुमान, निष्कर्ष आदि के आधार पर जाना या समझा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलब्धि :
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स्त्री० [सं० उप√लभ्+क्तिन्] १. उपलब्ध या प्राप्त होने की अवस्था, क्रिया या भाव। प्राप्ति। २. ज्ञान। ३. बृद्धि। ४. (प्राप्त की हुई) सफलता या सिद्धि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलब्धि :
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स्त्री० [सं० उप√लभ्+क्तिन्] १. उपलब्ध या प्राप्त होने की अवस्था, क्रिया या भाव। प्राप्ति। २. ज्ञान। ३. बृद्धि। ४. (प्राप्त की हुई) सफलता या सिद्धि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलंभक :
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वि० [सं० उप√लभ् (पाना)+णिच्+ण्वुल्-अक, नुम्] १. ज्ञान या अनुभव करनेवाला। २. प्राप्ति या लाभ करानेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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उपलंभक :
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वि० [सं० उप√लभ् (पाना)+णिच्+ण्वुल्-अक, नुम्] १. ज्ञान या अनुभव करनेवाला। २. प्राप्ति या लाभ करानेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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उपलंभन :
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पुं० [सं० उप√लभ्+ल्युट-अन, नुम्] १. ज्ञान। २. अनुभव। ३. प्राप्ति। लाभ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलंभन :
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पुं० [सं० उप√लभ्+ल्युट-अन, नुम्] १. ज्ञान। २. अनुभव। ३. प्राप्ति। लाभ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलभ्य :
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वि० [सं० उप√लभ् (पाना)+यत्] १. जो उपलब्ध या प्राप्त हो सकता हो। जो मिल सके। २. आदर या प्रशंसा के योग्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलभ्य :
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वि० [सं० उप√लभ् (पाना)+यत्] १. जो उपलब्ध या प्राप्त हो सकता हो। जो मिल सके। २. आदर या प्रशंसा के योग्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपला :
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पुं० [सं० उत्पन्न] [स्त्री० उपली] गाय, भैंस आदि के गोबर का सूखा हुआ कंडा जो जलाने के काम आता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपला :
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पुं० [सं० उत्पन्न] [स्त्री० उपली] गाय, भैंस आदि के गोबर का सूखा हुआ कंडा जो जलाने के काम आता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलाना :
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स०=उपराना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलाना :
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स०=उपराना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलिंग :
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पुं० [उप√लिंग(गति)+घञ्] १. अरिष्ट। २. उपद्रव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलिंग :
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पुं० [उप√लिंग(गति)+घञ्] १. अरिष्ट। २. उपद्रव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलेप :
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पुं० [सं० उप√लिप्(लीपना)+घञ्] १. गीली वस्तु (विशेषतः गोबर आदि) से पोतना या लीपना। २. ऐसी वस्तु जिससे पोता या लीपा जाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपलेप :
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पुं० [सं० उप√लिप्(लीपना)+घञ्] १. गीली वस्तु (विशेषतः गोबर आदि) से पोतना या लीपना। २. ऐसी वस्तु जिससे पोता या लीपा जाय। |
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समानार्थी शब्द-
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उपलेपन :
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पुं० [सं० उप√लिप्+ल्युट-अन] १. पोतना। लीपना। २. लेप आदि के रूप में लगाना। |
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समानार्थी शब्द-
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पुं० [सं० उप√लिप्+ल्युट-अन] १. पोतना। लीपना। २. लेप आदि के रूप में लगाना। |
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उपलेपी (पिन्) :
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वि० [सं० उप√लिप्+णिनि] १. पोतने या लीपनेवाला। २. किये-कराये काम पर पानी फेरनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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वि० [सं० उप√लिप्+णिनि] १. पोतने या लीपनेवाला। २. किये-कराये काम पर पानी फेरनेवाला। |
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उपल्ला :
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पुं० [हिं० ऊपर+ला (प्रत्यय) अथवा पल्ला] किसी वस्तु विशेषतः पहनने के दोहरे कपड़े की ऊपरी तह या परत। भितल्ला का विपर्याय। जैसे—रजाई का उपल्ला। |
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समानार्थी शब्द-
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उपल्ला :
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पुं० [हिं० ऊपर+ला (प्रत्यय) अथवा पल्ला] किसी वस्तु विशेषतः पहनने के दोहरे कपड़े की ऊपरी तह या परत। भितल्ला का विपर्याय। जैसे—रजाई का उपल्ला। |
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