शब्द का अर्थ
|
उपाख्या :
|
स्त्री० [सं० उप-आ√ख्या (कहना)+अ-टाप्] १. कुछ जानने के लिए स्वयं देखना। २. शब्दों के द्वारा कुछ वर्णन करना। ३. विवरण बतलाना। ४. दूसरों की प्रतिभा में रस लेने या उसका फल ग्रहण करने की शक्ति। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपाख्या :
|
स्त्री० [सं० उप-आ√ख्या (कहना)+अ-टाप्] १. कुछ जानने के लिए स्वयं देखना। २. शब्दों के द्वारा कुछ वर्णन करना। ३. विवरण बतलाना। ४. दूसरों की प्रतिभा में रस लेने या उसका फल ग्रहण करने की शक्ति। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपाख्यान :
|
पुं० [सं० उप-आ√ख्या+ल्युट-अन] १. विस्तारपूर्वक कही हुई कोई पुरानी कथा। २. किसी कथा के अंतर्गत आनेवाली कोई छोटी कथा उपकथा। ३. वर्णन। वृत्तान्त। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपाख्यान :
|
पुं० [सं० उप-आ√ख्या+ल्युट-अन] १. विस्तारपूर्वक कही हुई कोई पुरानी कथा। २. किसी कथा के अंतर्गत आनेवाली कोई छोटी कथा उपकथा। ३. वर्णन। वृत्तान्त। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |