शब्द का अर्थ
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कोण :
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पुं० [सं०√कुण (शब्द)+घञ्] १. वह आकृति जो भिन्न दिशाओं से आई हुई दो सीधी रेखाओं के एक बिन्दु पर मिलने से बनती है। कोना। २. उक्त दोनों रेखाओं के बीच का स्थान जिसकी नाप-जोख अंशों में होती है। ३. वह घन या ठोस पिंड जिसका आधार, (नीचेवाला भाग) ठीक वृत्ताकार और शीर्ष (चोटी) नोक के रूप में हो और आधार तथा शीर्ष के बीच में पड़ने वाला प्रत्येक बिन्दु उक्त दोनों को मिलानेवाली किसी सरल रेखा पर पड़ता हो। (कोन उक्त तीनों अर्थों के लिए) ४. दो दिशाओं के बीच की दिशा। ५. सारंगी की कमानी। ६. अस्त्रों की धार। ७. डंडा। लाठी। ८. वह लकड़ी जिससे ढोल पीटा जाता है। पुं० [यू० क्रोनस] १. शनिग्रह।। २. मंगल ग्रह। |
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समानार्थी शब्द-
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कोण-वृत्त :
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पुं० [मध्य० स०] उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर जानेवाला देशांतर वृत्त। |
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कोण-शंकु :
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पुं० [सं० मध्य० स०] सूर्य की वह स्थिति जिसमें वह न तो कोण वृत्त में होता है और न उन्मंडल में ही। (ज्योतिष।) |
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कोणनर :
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पुं० दे० कोणशंकु। |
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कोणप :
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पुं० =कोणप। |
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कोणस्पृग-वृत्त :
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पुं० [सं० कोण√स्पृश (छूना)+क्विन्, कर्म० स०] ऐसा वृत्त जो किसी क्षेत्र के सब कोणों को स्पर्श करता हो। |
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कोणाकोणि :
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क्रि० वि० [सं० कोण-कोण, ब० स०] एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक। |
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कोणाघात :
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पुं० [सं० कोण-आघात, ब० स०] एक साथ दस हजार ढोलों और एक लाख हुडुकों के बजने का शब्द। |
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कोणार्क :
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पुं० [सं० कोण-अर्क, मध्य० स० उड़ीसा में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ जहाँ सूर्य का बहुत ही भव्य तथा विशाल मंदिर है। |
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कोणिक :
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वि० [सं० कोण+ठन्-इक] १. कोण से युक्त। जिसमें कोण हो। २. कोण संबंधी। (एंग्युलर) |
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कोणीय :
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वि० [सं० कोण+छ-ईय]=कोणिक। |
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