शब्द का अर्थ
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आयत :
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वि० [सं० आ√यम् (उपरत होना)+क्त] १. विस्तृत। लंबा-चौड़ा। दीर्घ। विशाल। २. (लंबा और अपेक्षाकृत कम चौड़ा ऐसा क्षेत्र) जिसके चारों ओर समकोण हों। पुं० चार भुजाओंवाला वह क्षेत्र जिसकी आमने-सामने की भुजाएँ समानान्तर और चारों कोण समकोण हों। (रेक्टैगिल) स्त्री० [अ०] इंजील या कुरान का कोई वाक्य। |
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आयतन :
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पुं० [सं० आ√यत् (प्रयत्न करना)+ल्युट्-अन] [वि० आयतनीय] १. मकान। घर। २. ठहरने की जगह। ३. देवातओं की वन्दना का स्थान। मंदिर। ४. कोई पदार्थ ग्रहण करने की पात्रता या क्षमता के विचार से किसी पात्र या खाली जगह के अंदर का स्थान या अवकाश। (कैपेसिटी) |
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आयतन-मिति :
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स्त्री० [ष० त०] किसी वस्तु का आयतन नापने की विद्या। (वाल्यूमेट्री) |
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आयतनीय :
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वि० [सं० आ√यत्+अनीयर] आयतन से संबंध रखनेवाला। (वाल्यूमेट्रिक)। |
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आयताकार :
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वि० [सं० आयत-आकार, ब० स०] जिसका आकार आयत जैसा हो। जिसकी चार भुजायें और चार समकोण हों। (रैक्टैग्यूलर) |
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आयति :
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स्त्री० [सं० आ√या (जाना)+ङति] १. आयतन। विस्तार। २. वह सीमा जहाँ तक कोई चीज या बात पहुँचती या पहुँच सकती हो। (एक्सटेन्ट) ३. भविष्य में होनेवाली आय। (क्व०) ४. प्रेम। ५. सम्मान। |
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आयतिक :
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वि० [सं० आयत+ठक्-इक] भविष्य में होनेवाला। |
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आयत्त :
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वि० [सं० आ√यत्(प्रयत्न)+क्त] [भाव०आयत्ति] १. जो किसी के अधिकार या वश में हो। २. अधीन। जैसे—स्वायत्तशासन। |
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आयत्ति :
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स्त्री० [सं० आ√यत्+क्तिन्] १. आयत्त की अवस्था या भाव। २. अधीनता। वशता। |
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