शब्द का अर्थ
|
कातर :
|
वि० [सं० क-आ√तृ (तरना)+अच्] [भाव० कातरता] १. भय से काँपता हुआ। भयभीत। २. डरपोक। भीरू। ३. जो कष्ट या दुःख में पड़ने पर निराश या हतोत्साह होने के कारण अधीर हो रहा हो। जैसे—कतार भाव से प्राणरक्षा की प्रार्थना करना। पुं० [सं० कर्तृ=कातने या घूमनेवाला] १. कोल्हू में वह तख्ता जिस पर आदमी बैठकर आगे जुते हुए बैलों को हाँकता है और जो जाठ के साथ-साथ चारों ओर घूमता है। २. घड़ों आदि को बाँधकर बनाया हुआ बेड़ा। घड़नैल। पुं० [सं० कर्त्तरी] बंदर या भालू का जबड़ा। (कलंदर)। स्त्री० [?] एक प्रकार की मछली। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कातरता :
|
स्त्री० [सं० कातर+तल्,टाप्] १. कतार होने की अवस्था या भाव। २. कष्ट या दुःख के समय होनेवाली विकलता। बेचैनी। ३. अधीरता। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कातरोक्ति :
|
स्त्री० [सं० कातर-उक्ति, ष० त०] दुःख या संकट में पड़कर और अधीर या निराश होकर दीनपूर्वक कही जानेवाली बात या की जानेवाली प्रार्थना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कातर्य :
|
पुं० [सं० कातर+ष्यञ्]=कातरता। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |