शब्द का अर्थ
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कायिक :
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वि० [सं० काय+ठक्-इक] १. काया या शरीर में होने या उससे संबंध रखनेवाला। जैसे—कायिक अनुभाव या भाव, कायिक रोग। २. काया या शरीर के द्वारा किया जाने अथवा होनेवाला। जैसे—कायिक पाप या पुण्य। ३. काय या संघ से संबंध रखनेवाला (बौद्ध)। |
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कायिक-अनुभाव :
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पुं० [कर्म० स०] १. दे० अनुभाव। २. दे० दे० ‘हाव’। |
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कायिका :
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स्त्री० [सं० कायिक+टाप्] काय अर्थात् मूल-धन पर मिलने वाला ब्याज। सूद। |
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कायिका-वृद्धि :
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स्त्री० [ष० त०] प्राचीन भारत में वह व्यवस्था जिसमें किसी से लिए हुए ऋण का ब्याज चुकाने के लिए ऋणी व्यक्ति उसके बदले में महाजन के कुछ काम या तो स्वंय कर देता था या अपने पशुओं आदि से करा देता था (स्मृति)। |
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