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कूआँ  : पुं० [सं० कूप, कूप, गु० कुवो० सि० खुहु, का० कुह्० पं० खूह ने० कुआ, बं० उ० कूआ, मरा० कुवा] १. पानी निकालने के लिए जमीन में खोदा हुआ गहरा तथा गोल गड्ढा। मुहावरा—कूँआ खोदना=जीविका-निर्वाह के लिए परिश्रम और प्रयत्न करना। जैसे—यहाँ तो नित्य कुआँ खोदना और नित्य पानी पीना है। कूआँ चलाना=खेत सींचने के लिए कूएँ से पानी निकालना। कुआँ झाँकना=किसी खोज या प्रयत्न में चारों=ओर मारे-मारे फिरना। दौड़-धूप करना। कुएँ की मिट्टी कुएँ में लगना=(क) जहाँ की आमदनी वहीं खर्च होना। (ख) जहाँ की चीज हो वहीं के काम आना। कुएँ पर से प्यासे लौट आना=ऐसे स्थान पर से निराश लौटना जहाँ कोई काम बहुत सहज में हो सकता हो। कुएँ में बाँस डालना-किसी चीज की थाह लगाने या किसी को ढूँढ़ने के लिए अथक परिश्रम करना। कुएं में बोलना या कुएँ में से बोलना-इतने धीरे से बोलना कि सुनाई न पड़े। कूएँ में भाँग पड़ना=ऐसी स्थिति होना जिसमें सब लोग नशे की हालत में पागलों की तरह अनुचित आचरण या व्यवहार करने लगें। २. बहुत ही गहरी और अँधेरी जगह। ३. ऐसा स्थान या स्थिति जिसमें बहुत अधिक संकट की संभावना हो। मुहावरा—(किसी के लिए) कुआँ खोदना=किसी को फँसाने अथवा उसकी भारी हानि करने का प्रयत्न करना। कुएँ में गिरना=विपत्ति या संकट में पड़ना। कुएँ में गिराना या डालना=(क) नष्ट करना। (ख) विपत्ति या संकट में फँसाना। ४. रहस्य संप्रदाय में हृदय-रूपी कमल।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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