शब्द का अर्थ
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निय :
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वि० [सं० निज] अपना। निजी। उदा०–तिय निय हिय जु लगी चलत…।–बिहारी। |
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समानार्थी शब्द-
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नियत :
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वि० [सं० नि√यम्+क्त] १. जो बाँध या रोककर रखा गया हो। बँधा हुआ। पाबंद। २. जो नियंत्रण या वश में किया या रखा गया हो। ३. ठीक किया या ठहराया हुआ। निश्चित। जैसे–किसी काम के लिए समय नियत करना। ४. आज्ञा, विधान आदि के द्वारा स्थित किया हुआ। (प्रेस्क्राइव्ड) ५. (व्यक्ति) जिसे किसी कार्य या पद पर नियुक्त या मुकर्रर किया गया हो। काम पर लगाया हुआ। (पोस्टेड) जैसे–किसी काम की देख-रेख के लिए अधिकारी नियत करना। पुं० महादेव। शिव। |
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नियत-श्रावा :
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पुं० [तृ० त०] नाटक में किसी पात्रा का ऐसा कथन, जो सब लोगों को सुनाने के लिए न हो, बल्कि कुछ विशिष्ट पात्रों को सुनाने के लिए ही हो। |
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नियंतव्य :
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वि० [सं० नि√यम् (नियंत्रण)+व्यत्] जिसे नियंत्रित या नियमित किया जा सके अथवा करना हो। |
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नियंता (तृ) :
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वि० [सं० नि√यम्+तृच्] [स्त्री० नियंत्री] १. नियंत्रण करने या रखनेवाला। दूसरों को दबाकर और वश में रखनेवाला। २. किसी कार्य या उचित रूप से प्रबंध या व्यवस्था करनेवाला। प्रबंधक और शासक। पुं० १. विष्णु। २. वह जो घोड़े फेरने या निकालने अर्थात् उन्हें चलना आदि सिखाने का काम करता हो। चाबुक-सवार। |
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नियतात्मा (त्मन्) :
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वि० [नियत-आत्मन्, ब० स०] अपने आपको वश में रखनेवाला। जितेंद्रिय। संयमी। |
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नियताप्ति :
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स्त्री० [नियता-आप्ति, कर्म० स०] नाटक में वह स्थिति जिसमें अन्य उपायों को छोड़कर एक ही उपाय से कार्य सिद्ध होने पर विश्वास प्रकट किया या रखा जाता है। जैसे–अब तो ईश्वर ही हमारा उद्धार कर सकता है। |
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नियतांश :
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पुं० [नियत-अंश, कर्म० स०] किसी बड़ी राशि में से कुछ लोगों के लिए अलग-अलग नियत या निश्चित किया हुआ अंश। (कोटा) जैसे–सब लोगों के लिए कपड़े या खाद्य पदार्थों का नियतांश स्थिर करना। |
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नियति :
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स्त्री० [सं० नि√यम्+क्तिन्] १. नियत होने की अवस्था या भाव २. बद्ध होने की अवस्था या भाव। ३. कोई ऐसा बँधा हुआ नियम जिसमें कुछ या कोई भी परिवर्तन न होता या न हो सकता हो। ४. ईश्वर या प्रकृति का विधान जो पहले से नियत होता है और जिसके अनुसार सब कार्य अपने समय पर बिना किसी व्यतिक्रम के और अवश्यम्भावी रूप से आप से आप होते चलते हैं। दैव। (डेस्टिनी) ५. प्रारब्ध या भाग्य जो उक्त का अथवा पूर्वकाल में अपने किये हुए कर्मों का परिणाम या फल माना जाता है और जिस पर मनुष्य का कोई वश नहीं चलता। अदृष्ट। ६. निश्चित या स्थिर होने की अवस्था या भाव। मुदर्ररी। ७. दुर्गा या भगवती का एक नाम। |
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नियतिवाद :
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पुं० [ष० त०] वह सिद्धांत जिससे यह माना जाता है कि (क) संसार में जो कुछ होता है, वह सब परंपरागत कारणों से अवश्यंभावी परिणाम या फल के रूप में होता है, और (ख) लौकिक कार्यों में मनुष्य का पुरुषार्थ गौण तथा ईश्वर की इच्छा या प्रकृति की प्रेरणा और विधान ही सबसे अधिक प्रबल होता है। (डिटरमिनिज्म) विशेष–प्राचीन काल में इसकी गणना नास्तिक मतों में की जाती थी। |
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नियतिवादी (दिन्) :
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वि० [सं० नियति√वद् (बोलना)+णिनि] नियतिवाद-संबंधी। पुं० वह जो नियतिवाद का सिद्धांत मानता हो अथवा उसका अनुयायी हो। (डिटकमिनिस्ट) |
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नियतेंद्रिय :
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वि० [सं० नियत-इंद्रिय, ब० स०] जितेंद्रिय। |
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नियंत्रक :
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पुं० [सं० नि√यंत्र (निग्रह)+ण्वुल्–अक]=नियंता। |
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नियंत्रण :
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पुं० [सं० नि√यंत्र्+ल्युट्–अन] १. किसी प्रकार के नियम या बंधन में बाँधना। २. किसी को मनमाने क्रिया-कलाप आदि करने से रोकने के लिए उस पर कड़े बंधन लगाना। ३. व्यापारिक क्षेत्र में, शासन की किसी वस्तु का मूल्य स्वयं निश्चित करना और वह वस्तु समान मान या मात्रा में सब को अथवा किसी की आवश्यकता के अनुसार उसे देने का प्रबंध करना। (कंट्रोल, उक्त सभी अर्थों में) |
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नियंत्रित :
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भू० कृ० [सं० नि√यंत्र्+क्त] १. जिस पर नियंत्रण किया गया हो या हुआ हो। २. जिसे नियम आदि से बाँधकर ठीक रास्ते पर चलायी या लाया गया हो। ३. अधिकार या वश में किया या लाया हुआ। वश और शासन में रखा हुआ। |
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नियम :
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पुं० [सं० नि√मि (फेंकना)+अच्] १. अदला-बदली। २. विनिमय। |
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नियम :
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पुं० [सं० नि√यम्+अप्] १. ठीक तरह से चलाने के लिए बाँध या रोक कर रखना। २. प्रतिबंध। रुकावट। रोक। ३. आचार-व्यवहार, रीति-नीति आदि के संबंध में प्रणाली या प्रथा के रूप में निश्चित की हुई वे बातें, जिनका पालन आवश्यक कर्तव्य के रूप में होता है। कायदा। (रूल) जैसे–संस्था या समाज का नियम; राज्यशासन के नियम। ४. ऐसा निश्चित सिद्धान्त जो परम्परा से चला आ रहा हो जिसका पालन किसी काम या बात में सदा एक-सा होता रहता हो। दस्तूर। परंपरा। जैसे–जैसे प्रकृति का नियम। ५. अनुशासन। नियंत्रण। ६. कोई काम या बात नियमित रूप से अथवा किसी विशेष ढंग से करने या करते रहने का क्रम। जैसे–उनका नियम है कि वे रोज सबेरे उठकर टहलने जाते हैं। ७. योग के आठ अंगों में से एक जिसके अन्तर्गत तपस्या, दान, शुचिता, संतोष, स्वाध्याय आदि बातें आती हैं। (योग के यम नामक अंग की तुलना में नियम नामक अंग का पालन उतनी कठोरता या दृढ़ता से करना आवश्यक नहीं होता।) ८. मीमांसा में वह विधि जिससे अप्राप्त अंश की पूर्ति होती है। ९. साहित्य में, एक प्रकार का अर्थालंकार, जिसमें किसी काम या बात के एक ही व्यक्ति में या स्थान पर स्थित होने का उल्लेख होता है। जैसे–अब तो इस विषय के आप ही एक-मात्र ज्ञाता (या पंडित) हैं। १॰. किसी प्रकार की लगाई हुई शर्त। ११. विष्णु। १२. शिव। |
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नियम-तंत्र :
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वि० [ष० त०] जो किसी नियम के द्वारा चलता या चलाया जाता हो। |
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नियम-पत्र :
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पुं० [ष० त०] प्रतिज्ञा-पत्र। शर्त-नामा। |
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नियम-पर :
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वि० [स० त०] नियम के अनुसार चलने, चलाया जाने या होनेवाला। |
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नियम-बद्ध :
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वि० [तृ. त०] १. नियम या नियमों से बँधा हुआ। २. दे० ‘नियमित’। |
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नियम-स्थिति :
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स्त्री० [ब० स०] तपस्या। |
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नियमतः (तस्) :
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अव्य [सं० नियम+तस्] नियम के अनुसार। |
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नियमन :
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पुं० [सं० नि√यम्+ल्युट्–अन] [वि० नियमित, नियम्य] १. कोई काम ठीक तरह से चलाने अथवा लोगों को ठीक तरह से रखने के लिए नियम आदि बनाने और उनकी व्यवस्था करने की क्रिया या भाव। ठीक तरह से काम चलाने के लिए कायदे-कानून बनाना। (रेगुलेटिंग) २. नियम, बंधन आदि के द्वारा रोकना। निरोध। (रेजिस्ट्रेक्शन)। ३. नियंत्रण। ४. शासन। ५. दमन। निग्रह। |
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नियमापत्ति :
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स्त्री० [नियम-आपत्ति, स० त०] आधुनिक राजनीति में किसी सभा-समिति में बने हुए नियमों या विधानों अथवा परंपराओं या रूढ़ियों के विरुद्ध कोई आचरण, कार्य या व्यवहार होने पर उसके संबंध में की जानेवाली आपत्ति जिसके संबंध में अंतिम निर्णय करने का अधिकार सभापति को होता है। (प्वाइंट ऑफ आर्डर) |
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नियमावली :
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स्त्री० [नियम-आवली, ष० त०] १. किसी संस्था आदि से संबंध रखनेवाले नियमों की विवरण पुस्तिका। २. किसी कार्य-क्षेत्र या विभाग के कार्य-संचालन अथवा कार्यकर्ताओं का पथ-प्रदर्शन करनेवाले नियमों आदि की पुस्तिका। (मैनुअल) |
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नियमित :
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भू० कृ० [सं० नियम+णिच्+क्त] १. नियमों के अनुसार बँधा या स्थिर किया हुआ। नियम-बद्ध। २. जो नियम, विधान आदि के अनुकूल हो। ३. जो बराबर या सदा किसी नियम के रूप में होता आ रहा हो। (रेगुलर) जैसे–नियमित रूप से अपने समय पर कार्यलय में उपस्थित होना। |
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नियमी (मिन्) :
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वि० [सं० नियम+इनि] १. नियम के अनुसार होनेवाला। २. नियम-संबंधी। ३. (व्यक्ति) जो नियम या नियमों का पालन करता हो। |
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नियम्य :
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वि० [सं० नि√यम्+यत्] १. जिसके संबंध में नियम बनाया जा सकता हो। जो नियम बनाकर बाँधा जा सकता हो या बाँधा जाने को हो। नियमों के क्षेत्र में आने या लाये जाने के योग्य। २. जो नियंत्रण या शासन में रखा जा सकता हो या रखा जाने को हो। |
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नियर :
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अव्य० [सं० निकट, प्रा० निअडु] समीप। पास। नजदीक। |
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नियराई :
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स्त्री० [हिं० नियर=निकट+आई (प्रत्य०)] निकटता। सामीप्य। |
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नियराना :
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अ० [हिं० नियर+आना] पास या समीप आना या पहुँचना। स० पास या समीप पहुँचाना। |
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नियरे :
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अव्य०=नियर (नजदीक)। |
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नियाज :
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स्त्री० [फा० नियाज] १. प्रार्थना। २. इच्छा। ३. जान-पहचान। परिचय। ४. आज्ञा। ५. मृक के उद्देश्य से दरिद्रों को दिया जानेवाला भोजन। (मुसल०) |
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नियाजमंद :
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वि० [फा०] [भाव० नियाज़मंदी] १. प्रार्थना करनेवाला। २. इच्छुक। ३. परिचित। ४. आज्ञाकारी। |
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नियान :
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अव्य०, पुं०=निदान। |
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नियाम :
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पुं० [सं० नि√यम्+घञ्] नियम। पुं० [फा०] तलवार का कोश। मियान। |
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नियामक :
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वि० [सं० नि√यम्+णिच्+ण्वुल्–अक] [स्त्री० नियामिका] १. नियम या विधान बनानेवाला। २. नियमों के क्षेत्र या बंधन में रखने या लानेवाला। ३. प्रबंध या व्यवस्था करनेवाला। पुं० मल्लाह। माँझी। |
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नियामक-गण :
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पुं० [ष० त०] पारे को मारनेवाली औषधियों का समूह। (रसायन) |
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नियामत :
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स्त्री० [अ०] १. ईश्वर का दिया हुआ धन या वैभव। २. धन। संपत्ति। ३. अलभ्य या दुर्लभ पदार्थ। ऐसी बहुत बढ़िया चीज जो जल्दी न मिलती हो। |
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नियार :
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पुं० [हिं० न्यारा ?] जौहरियों, सुनारों आदि की दुकान का वह कूड़ा-करकट जो न्यारिये लोग ले जाकर साफ करते हैं और जिसमें से कभी-कभी बहुमूल्य धातुओं, रत्नों आदि के कण निकालते हैं। |
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नियारना :
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स० [हिं० नियार] जौहरियों, सुनारों आदि का कूड़ा-करकट साफ करके उसमें से बहुमूल्य धातुओं, रत्नों आदि के कण अलग करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियारा :
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वि०=न्यारा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=नियार। |
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समानार्थी शब्द-
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नियारिया :
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पुं०=न्यारिया। |
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समानार्थी शब्द-
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नियारे :
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अव्य०=न्यारे।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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नियाव :
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पुं०=न्याय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियुक्त :
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भू० कृ० [सं० नि√युज् (जोड़ना)+क्त] १. जिसका नियोग या नियोजन किया गया हो अथवा हुआ हो। २. जो किसी काम या पद पर नियत किया या लगाया गया हो। तैनात या मुकर्रर किया हुआ। ३. जो किसी काम के लिए उद्यत, तत्पर या प्रेरित किया गया हो। ४. ठहराया या निश्चित किया हुआ। स्थिर। जैसे–समय नियुक्त करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियुक्ति :
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स्त्री० [सं० नि√युज्+क्तिन्] १. नियुक्त होने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. किसी व्यक्ति को किसी काम या पद पर लगाने की क्रिया या भाव। तैनाती। मुकर्ररी। (एप्वाइंटमेंट) |
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समानार्थी शब्द-
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नियुत :
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वि० [सं० नि√यु (मिलाना)+क्त] दस लाख। पुं० १. दस लाख की संख्या। २. पुराणानुसार वायु को घोड़े का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियुत्वत् :
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पुं० [सं० नियुत+मतुप्, मस्य वः] वायु। हवा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियुद्ध :
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पुं० [सं० नि√युद्ध (लड़ना)+क्त] १. हाथा-बाँही। २. कुश्ती। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोक्तव्य :
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वि० [सं० नि√युज्+तव्यत्] जिसका नियोजन किया जाने को हो या किया जा सकता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोक्ता (क्तृ) :
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वि० [सं० नि√युज+तृच्] १. नियुक्त या नियोजित करनेवाला। २. लोगों को अपने यहाँ काम पर नियुक्त करनेवाला। (एम्पलायर) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोग :
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पुं० [सं० नि√युज्+घञ्] १. नियुक्त या नियोजित करने की अवस्था, क्रिया या भाव। नियत या मुकर्रर करना। २. किसी पदार्थ का उपयोग या व्यवहार। काम में लाना। ३. आज्ञा। आदेश। ४. निश्चय। ५. प्रेरणा। ६. अवधारण। ७. आयास। प्रयत्न। ८. प्राचीन भारतीय राजनीति में, कोई आपत्ति टालने या दूर करने का कोई विशिष्ट उपाय। ९. प्राचीन भारतीय आर्यों में प्रचलित एक प्रथा जिसके अनुसार किसी निःसंतान विधवा से संतान उत्पन्न कराने के लिए उसके देवर या पति के किसी उपयुक्त संगोत्री को उस विधवा के साथ संभोग करने के लिए नियत या नियुक्त किया जाता था। (धर्मशास्त्रों ने बाद में यह प्रथा वर्जित कर दी थी) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोगस्थ :
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वि० [सं० नियोग√स्था (ठहरना)+क] जिसका नियोग हुआ हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोगी (गिन्) :
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वि० [सं० नियोग+इनि़] १. नियुक्त। २. (किसी स्त्री० के साथ) नियोग करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोग्य :
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वि० [सं० नि√युज्+ण्यत्] (पुरुष या स्त्री) जिसका या जिससे नियोग हो सकता हो। पुं० प्रभु। मालिक। स्वामी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोजक :
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पुं० [सं० नि√युज्+णिच्+ण्वुल–अक] वह जो दूसरों को किसी काम पर लगाता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोजन :
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पुं० [सं० नि√युज्+णिच्+ल्युट्–अन] [वि० नियोजित, नियोज्य, नियुक्त] १. दूसरों को किसी काम में लगाने या नियुक्त करने की क्रिया या भाव। २. दे० ‘आयोग’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोजना :
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स० [सं० नियोजन] किसी को काम पर नियुक्त करना या लगाना। नियोजन करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोजनालय :
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पुं० [सं० नियोजन-आलय, ष० त०] वह कार्यालय जो बेकारों को नौकरी आदि पर लगाने की व्यवस्था करता है। (एम्प्लायमेंट एक्सचेंज) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोजित :
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भू० कृ० [सं० नि√युज्+णिच्+क्त] जिसका कहीं नियोजन हुआ हो। काम पर लगाया हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोज्य :
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वि० [सं० नि√युज्+णिच्+यत्] जिसका नियोजन होने को हो या किया जाने को हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नियोद्धा (द्धृ) :
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पुं० [सं० नि√युध+तृच्] कुश्ती लड़नेवाला, पहलवान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |