शब्द का अर्थ
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पटवा :
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पुं० [हिं० पाट+वाह (प्रत्य०)] [स्त्री० पटइन] वह जो दानों,मनकों आदि को सूत या रेशम की डोरी में गूँथने या पिरोने का काम करता हो। पटहार। पुं० [?] १. पीले रंग का एक प्रकार का बैल जो खेती के लिए अच्छा समझा जाता है। २. पटसन। पाट। |
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समानार्थी शब्द-
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पटवाद्य :
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पुं० [सं० तृ० त०] झाँझ के आकार का एक प्राचीन बाजा जिससे ताल दिया जाता था। |
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पटवाना :
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स० [हिं० पाटना का प्रे०] पाटने का काम दूसरे से कराना। किसी को कुछ पाटने में प्रवृत्त करना। जैसे—खेत, गड्ढा या छत पटवाना; करज या देन पटवाना। स० [हिं० ‘पटाना’ का प्रे०] किसी को पटाने (कम होने,दबने,बैठने आदि) में प्रवृत्त करना। जैसे—दरद या सूजन पटवाना। वि० दे० ‘पटाना’। |
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पटवारगिरी :
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स्त्री० [हिं० पटवारी+फा० गरी] पटवारी का काम,पद या भाव। |
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पटवारी :
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पुं०[सं० पट्ट+हिं० वारी (प्रत्य०)] खेती-बारी की जमीनों तथा उसकी उपज मालगुजारी आदि का लेखा रखनेवाला एक सरकारी कर्मचारी। लेख-पाल। स्त्री० [सं० पट=कपड़ा+हिं० वारी (प्रत्य०)] मध्ययुग में, वह दासी जो रानियों अथवा अन्य बड़े घरों की स्त्रियों को कपड़े,गहने आदि पहनाती थी। |
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पटवासक :
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पुं० [सं० पटवास+कन्] सुगंधित वस्तुओं का वह चूर्ण जिससे वस्त्र आदि बसाये या सुगंधित किये जाते थे। |
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