शब्द का अर्थ
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पतित :
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भू० कृ० [सं०√पत् (गिरना)+क्त] [स्त्री० पतिता, भाव० पतितता] १. ऊपर से नीचे आया या गिरा हुआ। २. नीचे की ओर झुका हुआ। नत। ३.(व्यक्ति) जिसका नैतिक दृष्टि से पतन हो चुका हो। ४. ऊपरी जाति या वर्ग के धर्म या धार्मिक प्रथाओं, विश्वासों आदि को न माननेवाला, उनका उल्लंघन करनेवाला अथवा उन्हें हेय समझनेवाला। ५. बहुत बड़ा अधम, नीच या पापी। ६. जो अपनी जाति, धर्म या समाज से किसी हीन आचरण के कारण निकाला या बहिष्कृत किया गया हो। ७. जो युद्ध आदि में गिरा, दबा या हरा दिया गया हो। ८. अपवित्र। मलिन। ९. गिराया या फेंका हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पतित-उधारन :
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वि० [सं० पतित+हिं० उधारना (सं० उद्धरण)] पतितों का उद्धार करनेवाला तथा उन्हें सद्गति देनेवाला। पुं० ईश्वर। |
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पतित-पावन :
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वि० [पतित√पाव+ल्युट्—अन] [स्त्री० पतितपावनी] पतित को भी पवित्र करनेवाला पतितों को शुद्ध करनेवाला। पुं० परमेश्वर। |
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पतित-वृक्ष :
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वि० [कर्म० स०] पतित दशा में रहनेवाला। जातिच्युत होकर जीवन बितानेवाला। |
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पतित-सावित्रीक :
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वि० [ब० स० कप्] (ब्राह्मण, क्षत्रिय अथवा शूद्र) जिसका यज्ञोपवीत विधिवत् न हुआ हो अथवा हुआ ही न हो। |
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पतितता :
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स्त्री० [सं० पतित+तल्—टाप्] १. पतित होने की अवस्था या भाव। २. जाति या धर्म से च्युत होने का भाव। ३. अपवित्रता। ४. अधमता। नीचता। |
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पतितव्य :
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वि० [सं०√पत्+तव्यत्] जो पतित होने को हो या पतित होने के योग्य हो। |
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पतित्व :
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पुं० [सं० पति+त्व] १. प्रभुत्व। स्वामित्व। २. पति या पाणिग्राहक होने की अवस्था, भाव या समर्थता। |
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