शब्द का अर्थ
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पाट :
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पुं० [सं० पट्ट, पाट] १. रेशम। २. रेशम का बटा हुआ महीन डोरा। नख। ३. एक प्रकार का रेशम का कीड़ा। ४. पटसन। ५. कपड़ा। वस्त्र। पद—पाट पटंबर=अच्छे अच्छे और कई तरह के कपड़े। ६. बैठने का पाटा या पीढ़ा। ७. राज-सिंहासन। ८. चौड़ाई के बल का विस्तार। जैसे—नदी का पाट। ९. किसी प्रकार का तख्ता, पटिया या शिला। १॰. पत्थर की वह पटिया जिस पर धोबी कपड़े धोते हैं। ११. चक्की के दोनों पल्लों में से हर एक। १२. लकड़ी के वे तख्ते जो छत पाटने के काम आते है। १३. वह चिपटा शहतीर जिस पर कोल्हू हाँकनेवाला बैठता है। १४. वह शहतीर जो कूएँ के मुँह पर पानी निकालनेवाले के खड़े होने के लिए रखा जाता है। १५. बैलों का एक रोग जिसमें उनके रोमकूपों में से रक्त निकलता है। क्रि० प्र०—फूटना। १६. मृदंग के चार वर्णों में से एक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाट :
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पुं० [सं० पट्ट, पाट] १. रेशम। २. रेशम का बटा हुआ महीन डोरा। नख। ३. एक प्रकार का रेशम का कीड़ा। ४. पटसन। ५. कपड़ा। वस्त्र। पद—पाट पटंबर=अच्छे अच्छे और कई तरह के कपड़े। ६. बैठने का पाटा या पीढ़ा। ७. राज-सिंहासन। ८. चौड़ाई के बल का विस्तार। जैसे—नदी का पाट। ९. किसी प्रकार का तख्ता, पटिया या शिला। १॰. पत्थर की वह पटिया जिस पर धोबी कपड़े धोते हैं। ११. चक्की के दोनों पल्लों में से हर एक। १२. लकड़ी के वे तख्ते जो छत पाटने के काम आते है। १३. वह चिपटा शहतीर जिस पर कोल्हू हाँकनेवाला बैठता है। १४. वह शहतीर जो कूएँ के मुँह पर पानी निकालनेवाले के खड़े होने के लिए रखा जाता है। १५. बैलों का एक रोग जिसमें उनके रोमकूपों में से रक्त निकलता है। क्रि० प्र०—फूटना। १६. मृदंग के चार वर्णों में से एक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाट-करण :
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पुं० [सं० ब० स०] शुद्ध जाति के रोगों का एक भेद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाट-करण :
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पुं० [सं० ब० स०] शुद्ध जाति के रोगों का एक भेद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाट-महिषी :
|
स्त्री० [सं० पट्ट =सिहासन्,+ महिषी= रानी] किसी राजा की वह विवाहिता और बड़ी रानी जो उसके साथ सिंहासन पर बैठती अथवा उस पर बैठने की अधिकारिणी हो। पटरानी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाट-महिषी :
|
स्त्री० [सं० पट्ट =सिहासन्,+ महिषी= रानी] किसी राजा की वह विवाहिता और बड़ी रानी जो उसके साथ सिंहासन पर बैठती अथवा उस पर बैठने की अधिकारिणी हो। पटरानी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटक :
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पुं० [सं०√पट्+णिच्+ण्वुल—अक] १. एक तरह का बाजा। २. गाँव या बस्ती का आधा भाग। ३. तट। किनारा । ४. पासा। ५. एक तरह की बड़ी कलछी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटक :
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पुं० [सं०√पट्+णिच्+ण्वुल—अक] १. एक तरह का बाजा। २. गाँव या बस्ती का आधा भाग। ३. तट। किनारा । ४. पासा। ५. एक तरह की बड़ी कलछी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटदार :
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वि०=पल्लेदार (आवाज)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटदार :
|
वि०=पल्लेदार (आवाज)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटन :
|
पुं० [सं०√पट्+णिच्+ल्युट्—अन] चीरने-फाड़ने अथवा तोड़ने-फोड़ने की क्रिया या भाव। स्त्री० [हिं० पाटना] १. पाटने की क्रिया या भाव। पटाव। २. वह छत दीवारों को पाटकर बनाई गई हो। ३. घर के ऊपर का दूसरा खंड या मंजिल। ४. साँप का जहर झाड़ने का एक प्रकार का मंत्र। पुं० [सं० पत्तन] नगर या बस्ती के नाम के अंत में लगनेवाली ‘पत्तन’ सूचक संज्ञा। जैसे—झालरापाटन। स्त्री० [अं० पैटर्न] पुस्तक की जिल्द के रूप में बँधी हुई वे दफ्तियाँ जिन पर ग्राहकों या व्यापारियों को दिखाने के लिए कपड़ों आदि के नमूने के टुकड़े चिपकाये रहते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटन :
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पुं० [सं०√पट्+णिच्+ल्युट्—अन] चीरने-फाड़ने अथवा तोड़ने-फोड़ने की क्रिया या भाव। स्त्री० [हिं० पाटना] १. पाटने की क्रिया या भाव। पटाव। २. वह छत दीवारों को पाटकर बनाई गई हो। ३. घर के ऊपर का दूसरा खंड या मंजिल। ४. साँप का जहर झाड़ने का एक प्रकार का मंत्र। पुं० [सं० पत्तन] नगर या बस्ती के नाम के अंत में लगनेवाली ‘पत्तन’ सूचक संज्ञा। जैसे—झालरापाटन। स्त्री० [अं० पैटर्न] पुस्तक की जिल्द के रूप में बँधी हुई वे दफ्तियाँ जिन पर ग्राहकों या व्यापारियों को दिखाने के लिए कपड़ों आदि के नमूने के टुकड़े चिपकाये रहते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटना :
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स० [सं० पाट] १. खाई, गड्ढे आदि में इतना भराव भरना जिससे वह आस-पास की जमीन के बराबर और समतल हो जाय। २. कमरे के संबंध मे उसकी चारों ओर की दीवारों के ऊपरी भाग के खुले अवकाश को बंद करने के लिए उस पर छत या पाटन बनाना। ३. लाक्षणिक अर्थ में, किसी स्थान पर किसी चीज की बहुतायत या भरमार करना। जैसे—माल से बाजार पाटना। ४. लाक्षणिक रूप में, (क) ऋण आदि चुकाना, (ख) पारस्पिक दूरी, मत-भेद, विरोध आदि का अंत या समाप्ति करना। ५. दे० ‘पटाना’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटना :
|
स० [सं० पाट] १. खाई, गड्ढे आदि में इतना भराव भरना जिससे वह आस-पास की जमीन के बराबर और समतल हो जाय। २. कमरे के संबंध मे उसकी चारों ओर की दीवारों के ऊपरी भाग के खुले अवकाश को बंद करने के लिए उस पर छत या पाटन बनाना। ३. लाक्षणिक अर्थ में, किसी स्थान पर किसी चीज की बहुतायत या भरमार करना। जैसे—माल से बाजार पाटना। ४. लाक्षणिक रूप में, (क) ऋण आदि चुकाना, (ख) पारस्पिक दूरी, मत-भेद, विरोध आदि का अंत या समाप्ति करना। ५. दे० ‘पटाना’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटनि :
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स्त्री० [सं० पट्ट] १. सिर के बालों की पट्टी। २. दे० ‘पाटना’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटनि :
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स्त्री० [सं० पट्ट] १. सिर के बालों की पट्टी। २. दे० ‘पाटना’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटनीय :
|
वि० [सं०√पट्+णिच्+अनीयर्] चीरे-फाड़े या तोड़े-फोड़े जाने के योग्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटनीय :
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वि० [सं०√पट्+णिच्+अनीयर्] चीरे-फाड़े या तोड़े-फोड़े जाने के योग्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटप :
|
वि० [हिं० पाट] सबसे बड़ा। उत्तम। श्रेष्ठ। (राज०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटप :
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वि० [हिं० पाट] सबसे बड़ा। उत्तम। श्रेष्ठ। (राज०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटरानी :
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स्त्री०=पटरानी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटरानी :
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स्त्री०=पटरानी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटल :
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पुं० [सं०√पट्+णिच्+कलप] १. पाडर या पाढर नामक पेड़, जिसके पत्ते आकार-प्रकार में बेल वृक्ष के पत्तों के समान होते हैं। २. गुलाब। वि० १. गुलाब-संबंधी। २. गुलाब के रंग का। उदा०—कर लै प्यौ पाटल बिमल प्यारी।—बिहारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटल :
|
पुं० [सं०√पट्+णिच्+कलप] १. पाडर या पाढर नामक पेड़, जिसके पत्ते आकार-प्रकार में बेल वृक्ष के पत्तों के समान होते हैं। २. गुलाब। वि० १. गुलाब-संबंधी। २. गुलाब के रंग का। उदा०—कर लै प्यौ पाटल बिमल प्यारी।—बिहारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटल-द्रुम :
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पुं० [सं० उपमि० स०] पुन्नाग वृक्ष। राज-चंपक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटल-द्रुम :
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पुं० [सं० उपमि० स०] पुन्नाग वृक्ष। राज-चंपक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलक :
|
वि० [सं० पाटल+कन्] पाटल के रंग का। गुलाबी रंग का। पुं० गुलाबी रंग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलक :
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वि० [सं० पाटल+कन्] पाटल के रंग का। गुलाबी रंग का। पुं० गुलाबी रंग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलकीट :
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पुं० [सं० मध्य० स०] एक प्रकार का कीड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलकीट :
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पुं० [सं० मध्य० स०] एक प्रकार का कीड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलवती :
|
स्त्री० [सं० पाटला+मतुप्, वत्व,+ङीष्] १. दुर्गा। २. एक प्राचीन नदी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलवती :
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स्त्री० [सं० पाटला+मतुप्, वत्व,+ङीष्] १. दुर्गा। २. एक प्राचीन नदी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटला :
|
स्त्री० [सं० पावल+टाप्] १. पाडर का वृक्ष। २. लाललोध। ३. जलकुंभी। ४. दुर्गा का एक रूप। पुं० [सं० पटल] एक प्रकार का बढ़िया और साफ सोना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटला :
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स्त्री० [सं० पावल+टाप्] १. पाडर का वृक्ष। २. लाललोध। ३. जलकुंभी। ४. दुर्गा का एक रूप। पुं० [सं० पटल] एक प्रकार का बढ़िया और साफ सोना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलि :
|
स्त्री० [सं०√पट्+णिच्+अलि] १. पाडर का वृक्ष। २. पांडुफली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलि :
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स्त्री० [सं०√पट्+णिच्+अलि] १. पाडर का वृक्ष। २. पांडुफली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलि-पुत्र :
|
पुं० [सं० ष० त० ?] अज्ञातशत्रु द्वारा बसाई हुई प्राचीन मगध की एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगरी जो आधुनिक पटना नगर के पास थी। पुष्पपुर। कुसुमपुर। विशेष—कुल लोग वर्तमान पटने को ही पाटिलपुत्र समझते हैं परंतु पटना शेरशाह सूरी का बसाया हुआ है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलि-पुत्र :
|
पुं० [सं० ष० त० ?] अज्ञातशत्रु द्वारा बसाई हुई प्राचीन मगध की एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगरी जो आधुनिक पटना नगर के पास थी। पुष्पपुर। कुसुमपुर। विशेष—कुल लोग वर्तमान पटने को ही पाटिलपुत्र समझते हैं परंतु पटना शेरशाह सूरी का बसाया हुआ है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलिक :
|
वि० [सं० पाटलि+कन्] १. जो दूसरों के भेद या रहस्य जानता हो। २. जिसे देश और काल का ज्ञान हो। पुं० १. चेला। शिष्य। २. पाटलिपुत्र नगर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलिक :
|
वि० [सं० पाटलि+कन्] १. जो दूसरों के भेद या रहस्य जानता हो। २. जिसे देश और काल का ज्ञान हो। पुं० १. चेला। शिष्य। २. पाटलिपुत्र नगर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलित :
|
भू० कृ० [सं० पाटल+णिच्+क्त] गुलाबी रंग में रँगा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलित :
|
भू० कृ० [सं० पाटल+णिच्+क्त] गुलाबी रंग में रँगा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलिमा (मन्) :
|
स्त्री० [सं० पाटल+इमनिच्] १. गुलाबी रंग। २. गुलाबी रंगत। ३. गुलाबी होने की अवस्था या भाव। गुलाबीपन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलिमा (मन्) :
|
स्त्री० [सं० पाटल+इमनिच्] १. गुलाबी रंग। २. गुलाबी रंगत। ३. गुलाबी होने की अवस्था या भाव। गुलाबीपन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटली :
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स्त्री० [सं० पाटलि+ङीष्]=पाटलि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटली :
|
स्त्री० [सं० पाटलि+ङीष्]=पाटलि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटली-तैल :
|
पुं० [सं० ष० त०] एक प्रकार का औषध तैल जिसके लगाने से जले हुए स्थान की जलन, पीड़ा और चेप बहना दूर होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटली-तैल :
|
पुं० [सं० ष० त०] एक प्रकार का औषध तैल जिसके लगाने से जले हुए स्थान की जलन, पीड़ा और चेप बहना दूर होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलीपुत्र :
|
पुं०=पाटलिपुत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटलीपुत्र :
|
पुं०=पाटलिपुत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटव :
|
पुं० [सं० पटु+अण्] १. पटुता। २. दृढ़ता। मजबूती। ३. जल्दी। शीघ्रता। ४. आरोग्य। ५. शक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटव :
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पुं० [सं० पटु+अण्] १. पटुता। २. दृढ़ता। मजबूती। ३. जल्दी। शीघ्रता। ४. आरोग्य। ५. शक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटविक :
|
वि० [सं० पाटव+ठन्—इक] १. पटु। कुशल। २. चालाक। धूर्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटविक :
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वि० [सं० पाटव+ठन्—इक] १. पटु। कुशल। २. चालाक। धूर्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटवी :
|
वि० [हिं० पाट+वी (प्रत्य०)] १. रेशम का बना हुआ। रेशमी। २. पटरानी संबंधी। पटरानी का। ३. पटरानी से उत्पन्न। ४. सर्वश्रेष्ठ। पुं० पटरानी का पुत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटवी :
|
वि० [हिं० पाट+वी (प्रत्य०)] १. रेशम का बना हुआ। रेशमी। २. पटरानी संबंधी। पटरानी का। ३. पटरानी से उत्पन्न। ४. सर्वश्रेष्ठ। पुं० पटरानी का पुत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटसन :
|
पुं०=पटसन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटसन :
|
पुं०=पटसन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटहिक :
|
पुं० [सं० पटह+ठञ्—इक] नगाड़ा बजानेवाला व्यक्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटहिक :
|
पुं० [सं० पटह+ठञ्—इक] नगाड़ा बजानेवाला व्यक्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटहिका :
|
स्त्री० [सं० पटह+अण्, पाटह+ठञ्—इक+टाप्] गुंजा। घुँघची। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटहिका :
|
स्त्री० [सं० पटह+अण्, पाटह+ठञ्—इक+टाप्] गुंजा। घुँघची। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटा :
|
पुं० [हिं० पाट] [स्त्री० अल्पा० पाटी] १. बैठने का काठ का पीढ़ा। मुहा०—पाटा फेरना=विवाह में कन्यादान के उपरांत वर के पीढ़े पर कन्या और कन्या के पीढ़े पर वर को बैठाना। २. राज-सिंहासन। ३. लंबी धरन की तरह की वह आयताकार लकड़ी जिसकी सहायता से जोते हुए खेत की मिट्टी के ढेले तोड़कर उसे समतल करते हैं। ४. उक्त प्रकार का लकड़ी का वह छोटा टुकड़ा जिसके द्वारा राज लोग दीवारों का पलस्तर बराबर या समतल करते हैं। क्रि० प्र०—चलाना।—फेरना। ५. दो दीवारों के बीच में तख्ता, पटिया आदि लगाकर बनाया हुआ आधार स्थान। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटा :
|
पुं० [हिं० पाट] [स्त्री० अल्पा० पाटी] १. बैठने का काठ का पीढ़ा। मुहा०—पाटा फेरना=विवाह में कन्यादान के उपरांत वर के पीढ़े पर कन्या और कन्या के पीढ़े पर वर को बैठाना। २. राज-सिंहासन। ३. लंबी धरन की तरह की वह आयताकार लकड़ी जिसकी सहायता से जोते हुए खेत की मिट्टी के ढेले तोड़कर उसे समतल करते हैं। ४. उक्त प्रकार का लकड़ी का वह छोटा टुकड़ा जिसके द्वारा राज लोग दीवारों का पलस्तर बराबर या समतल करते हैं। क्रि० प्र०—चलाना।—फेरना। ५. दो दीवारों के बीच में तख्ता, पटिया आदि लगाकर बनाया हुआ आधार स्थान। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटि :
|
स्त्री० १.=पाट। २.=पाटी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटि :
|
स्त्री० १.=पाट। २.=पाटी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटिका :
|
स्त्री० [सं० पाटक+टाप्, इत्व] १. एक दिन की मजदूरी। २. एक पौधा। ३. छाल। छिलका। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटिका :
|
स्त्री० [सं० पाटक+टाप्, इत्व] १. एक दिन की मजदूरी। २. एक पौधा। ३. छाल। छिलका। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटित :
|
भू० कृ० [सं०√पट्+णिच्+क्त] जो चीरा-फाड़ा अथवा तोड़ा-पोड़ा गया हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटित :
|
भू० कृ० [सं०√पट्+णिच्+क्त] जो चीरा-फाड़ा अथवा तोड़ा-पोड़ा गया हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटी :
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भू० कृ० [सं०√पट्+इन्+ङीष्] १. परिपाटी। अनुक्रम। रीति। २. गणित-शास्त्र। हिसाब। ३. श्रेणी। पंक्ति। ४. बला नामक क्षुप। खरैंटी। स्त्री० [हिं० पाटा का स्त्री० रूप] १. लकड़ी की वह तख्ती या पट्टी जिस पर विद्यारंभ करनेवाले बच्चों को लिखना-पढ़ना सिखाया जाता है। २. बच्चों को पढ़ाया जानेवाला पाठ। सबक। मुहा०—पाटी पढ़ना=(क) पाठ पढ़ना। सबक लेना। (ख) किसी प्रकार की शिक्षा प्राप्त करना; विशेषतः ऐसी शिक्षा प्राप्त करना जो दुष्ट उद्देश्य से दी गई हो और जिसमें शिक्षा प्राप्त करनेवाले ने अपनी बुद्धि या विवेक का उपयोग न किया हो। ३. माँग के दोनों ओर गोंद, जल, तेल, आदि की सहायता से कंघी द्वारा बैठाये हुए बाल जो देखने में पटरी की तरह बराबर मालूम हों। पट्टी। पटिया। मुहा०—पाटी पारना या बैठाना=कंघी फेरकर सिर के बालों को समतल करके बैठना। उदा०—पाटी पारि अपने हाथ बेनी गुथि बनावे।—भारतेंदु। ४. खाट, पलंग आदि के चौखट की लंबाई के बल की लकड़ी। ५. चौड़ाई। ६. चट्टान। शिला। ७. मछली पकड़ने के लिए एक विशिष्ट प्रकार की क्रिया जिसमें बहते हुए पानी को मिट्टी के बाँध या वृक्षों की टहनियों आदि से रोक कर एक पतले मार्ग से निकलने के लिए बाध्य करते हैं, और उसी मार्ग पर उन्हें पकड़ते हैं। ८. खपरैल की नरिया का प्रत्येक आधा भाग। ९. जंती। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटी :
|
भू० कृ० [सं०√पट्+इन्+ङीष्] १. परिपाटी। अनुक्रम। रीति। २. गणित-शास्त्र। हिसाब। ३. श्रेणी। पंक्ति। ४. बला नामक क्षुप। खरैंटी। स्त्री० [हिं० पाटा का स्त्री० रूप] १. लकड़ी की वह तख्ती या पट्टी जिस पर विद्यारंभ करनेवाले बच्चों को लिखना-पढ़ना सिखाया जाता है। २. बच्चों को पढ़ाया जानेवाला पाठ। सबक। मुहा०—पाटी पढ़ना=(क) पाठ पढ़ना। सबक लेना। (ख) किसी प्रकार की शिक्षा प्राप्त करना; विशेषतः ऐसी शिक्षा प्राप्त करना जो दुष्ट उद्देश्य से दी गई हो और जिसमें शिक्षा प्राप्त करनेवाले ने अपनी बुद्धि या विवेक का उपयोग न किया हो। ३. माँग के दोनों ओर गोंद, जल, तेल, आदि की सहायता से कंघी द्वारा बैठाये हुए बाल जो देखने में पटरी की तरह बराबर मालूम हों। पट्टी। पटिया। मुहा०—पाटी पारना या बैठाना=कंघी फेरकर सिर के बालों को समतल करके बैठना। उदा०—पाटी पारि अपने हाथ बेनी गुथि बनावे।—भारतेंदु। ४. खाट, पलंग आदि के चौखट की लंबाई के बल की लकड़ी। ५. चौड़ाई। ६. चट्टान। शिला। ७. मछली पकड़ने के लिए एक विशिष्ट प्रकार की क्रिया जिसमें बहते हुए पानी को मिट्टी के बाँध या वृक्षों की टहनियों आदि से रोक कर एक पतले मार्ग से निकलने के लिए बाध्य करते हैं, और उसी मार्ग पर उन्हें पकड़ते हैं। ८. खपरैल की नरिया का प्रत्येक आधा भाग। ९. जंती। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटीकुट :
|
पुं० [सं० पाठा√कुट् (टेढ़ा होना)+क, पृषो० सिद्धि] चीते का पेड़। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटीकुट :
|
पुं० [सं० पाठा√कुट् (टेढ़ा होना)+क, पृषो० सिद्धि] चीते का पेड़। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटीगणित :
|
पुं० [सं०] गणित की वह शाखा जिसमें ज्ञात अंकों या संख्याओं की सहायता से अज्ञात अंक या संख्याएँ जानी जाती हैं। (एरिथिमेटिक) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटीगणित :
|
पुं० [सं०] गणित की वह शाखा जिसमें ज्ञात अंकों या संख्याओं की सहायता से अज्ञात अंक या संख्याएँ जानी जाती हैं। (एरिथिमेटिक) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटीर :
|
पुं० [सं० पटीर+अण्] १. चंदन का वृक्ष और उसकी लकड़ी। २. खेत जोतन का हल। ३. खेत। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटीर :
|
पुं० [सं० पटीर+अण्] १. चंदन का वृक्ष और उसकी लकड़ी। २. खेत जोतन का हल। ३. खेत। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटूनी :
|
पुं० [देश०] वह मल्लाह जो किसी घाट का ठीकेदार भी हो घटवार। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाटूनी :
|
पुं० [देश०] वह मल्लाह जो किसी घाट का ठीकेदार भी हो घटवार। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाट्य :
|
पुं० [सं०√पट्+णिच्+यत्] पटसन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाट्य :
|
पुं० [सं०√पट्+णिच्+यत्] पटसन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |