शब्द का अर्थ
|
पिट्ट :
|
वि० [हिं० पीटना] १. जो बराबर मार खाता रहता हो। २. जो मार खाकर ही कोई काम करता या सीधे रास्ते पर आता हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिट्ट :
|
वि० [हिं० पीटना] १. जो बराबर मार खाता रहता हो। २. जो मार खाकर ही कोई काम करता या सीधे रास्ते पर आता हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिट्टक :
|
पुं० [सं०√पिट्+ण्वुल—अक, पृषो० सिद्धि] दाँतों की जड़ों में जमनेवाली मैल। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिट्टक :
|
पुं० [सं०√पिट्+ण्वुल—अक, पृषो० सिद्धि] दाँतों की जड़ों में जमनेवाली मैल। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिट्टस :
|
स्त्री० [हिं० पिटना+स (प्रत्य०)] १. शोक या दुःख से छाती पीटने की क्रिया या भाव। २. पिटने की अवस्था या भाव। पिटंत। क्रि० प्र०—पड़ना।—मचना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिट्टस :
|
स्त्री० [हिं० पिटना+स (प्रत्य०)] १. शोक या दुःख से छाती पीटने की क्रिया या भाव। २. पिटने की अवस्था या भाव। पिटंत। क्रि० प्र०—पड़ना।—मचना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |