शब्द का अर्थ
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भजन :
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पुं० [सं०√भज् (सेवा करना)+ल्यु-अन] १. खण्ड, टुकड़े या भाग करना। २. श्रद्धापूर्वक ईश्वर और उसकी लीलाओं का गुणगान और स्मरण करना। ३. वह गेय पद जिसमें ईश्वर और उसकी लीलाओं का गुण-कथन हो। |
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समानार्थी शब्द-
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भजना :
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स० [सं० भजन] १. किसी की सेवा सुश्रूषा करना। २. किसी का आश्रय लेना या आश्रित होना। ३. कहीं जाकर पहुँचना। ४. ईश्वर और उसकी लीलाओं का श्रद्धापूर्वक कथन और स्मरण करना। ५. बार बार किसी का नाम लेते हुए जप करना। जैसे—राम भजो, सुख पाओगे। ६. भोगना। ७. धारण या वहन करना। उदाहरण—भजत भार भयभीत है घुन चन्दनु बन माल।—बिहारी। [सं० वर्जन पा० वजन] १. भागना। उदाहरण—नर कौ भज्यौ नाम सुनि मेरो, पीठ दर्द जमराज। सूर। २. प्राप्त होना। पहुँचना। |
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भजनानंदी (दिन्) :
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पुं० [सं० भजनानंद+दीर्घ] १. वह जिसे ईश्वर भजन मे ही आनन्द मिलता हो। २. वह जिसकी जीविका आदि करने से चलती हो। |
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भजनानन्द :
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पुं० [सं० भजन-आनन्द, मध्य० स०] वह आनंद जो परमेश्वर या देवता के नाम का भजन करने पर मिलता हो। |
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भजनी :
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पुं० [हिं० भजन] १. वह जो प्रायः ईश्वर-भजन करता हो। २. दे० ‘भजनीक’। |
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भजनीक :
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पुं० [हिं० भजनी] १. भजन गाने और उनके द्वारा लोगों का मनोरंजन करनेवाला। २. जिसका पेशा भजन गाकर लोगों को उपदेश देना तथा मनोविनोद करना हो। |
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भजनीय :
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वि० [सं०√भज+अनीयर] १. जिसे भजना उचित हो अर्थात् जिसे भजना चाहिए। २. जिसका आश्रय लिया जा सकता हो या लिया जाना उचित हो। |
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भजनोपदेशक :
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पुं० [सं० भजन-उपदेशक, सुप्सुपा, स०] भजन के द्वारा या माध्यम से उपदेश देनेवाला व्यक्ति। |
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