शब्द का अर्थ
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भट :
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पुं० [सं०√भट (बोलना)+अच्] १. युद्ध करने या लड़नेवाला। योद्धा। २. पहलवान। मल्ल। ३. सिपाही। सैनिक। ४. प्राचीन काल की एक वर्णसंकर जाति। ५. दास। पुं० १. भटनास। २. =भट्ट। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भट :
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पुं० =भट्ठा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भट-कटैया :
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स्त्री० [सं० कंटकारी, हिं० कटेरी, या कटाई] एक प्रकार का कँटीला छोटा क्षुप जो बहुधा औषध के काम में आता है। |
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भट-तीतर :
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पुं० [हिं० भट=बड़ा+तीतर] प्रायः एक फुट लंबा एक प्रकार का पक्षी जो जाड़े में उत्तरपश्चिम भारत में पाया जाता है। प्रायः इसके मांस के लिए इसका विस्तार शिकार किया जाता है। |
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भटई :
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स्त्री० [हिं० भाट] १. भाट होने की अवस्था या भाव। २. भाट का काम या पेशा। भाटों कीसी खुशामद या चापलूसी अथवा झूठी तारीफ। |
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भटक :
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स्त्री० [हिं० भटकना] भटकने की क्रिया दशा या भाव। |
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भटकन :
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स्त्री० [हिं० भटकना] भटकने की क्रिया या भाव। भटक। |
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भटकना :
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अ० [सं० भ्रम] १. व्यर्थ इधर-उधर घूमते-फिरते रहना। २. ठीक रास्ता भूल जाने पर इधर-उधर घूम-फिरकर उसे ढूँढ़ते फिरना। ३. धोखे या भ्रम में पड़कर निश्चित तत्त्व तक न पहुंचना। ४. मन या विचार का शान्त न रहकर इधर-उधर जाते फिरना। |
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भटका :
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पुं० [हिं० भटकना] १. व्यर्थ घूमने की क्रिया। २. चक्कर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भटकाई :
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स्त्री०=भट-कटैया। |
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भटकान :
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स्त्री०=भटकन। |
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भटकाना :
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स० [हिं० भटकना का स०रूप] किसी को भटकने में प्रवृत्त करना। ऐसा काम या बात करना जिससे कोई भटके। |
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भटकैया :
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पुं० [हिं० बटकना+ऐया (प्रत्यय)] १. भटकनेवाला। २. भटकानेवाला। स्त्री०=भट-कटैया। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भटकौहाँ :
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वि० [हिं० भटकना+औहाँ (प्रत्यय)] १. भटकता रहनेवाला। २. भटकानेवाला। भुलावे में डालनेवाला। |
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भटना :
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अ० [?] गड्ढे आदि का पाटा या भरा जाना। पटना। उदाहरण—बहु कुंडशोनित सों भटे, पितु तर्पणादि क्रिया सची।—केशव। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भटनास :
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स्त्री० [देश] १. एक लता और उसकी फलियाँ। २. उक्त फलियों के बीज जो डाल की तरह राँध कर खाये जाते हैं। भटवाँस। |
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भटनेर :
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पुं० [सं० भटनगर] सिंधु नद पर स्थित एक प्राचीन राज्य। |
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भटनेरा :
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पुं० [सं० भट+नगरा] १. भटनेर नगर का निवासी। २. वैश्यों की एक जाति। वि० भटनेर नगर या उससे संबंध रखनेवाला। |
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भटभटी :
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स्त्री० [अनु०] ऐसी अवस्था जिसमें आँखों में चकाचौंध होने के कारण कुछ दिखाई न पड़े। उदाहरण—बात अटपटी बढ़ी, चाह चटपटी रहे, भटभटी लागै जौ पै बीच बहनी बसै।—घनानन्द। |
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भटभेरा :
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पुं० [हिं० भट+भिड़ना] १. दो वीरों का सामना। मुकाबला। भिंडत। २. टक्कर ठोकर या धक्का। ३. अनायास हो जानेवाली भेंट या सामना। उदाहरण—गली अँधेरी साँकरी माँ भटभेरा आनि।—बिहारी। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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भटवाँस :
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पुं० =भटनास। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भटा :
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पुं० =भंटा (बैगन)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भटियार :
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पुं० [?] संगीत में एक प्रकार का राग। |
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भटियारपन :
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पुं० [हिं० भठियारा+पन (प्रत्यय)] १. भठियारे का काम। २. भठियारों की तरह की लड़ाई या अश्लील आचरण या व्यवहार। |
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भटियारा :
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पुं० =भठियारा। |
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भटियारी :
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स्त्री० [?] संपूर्ण जाति की एक संकर रागिनी जिसमें ऋषभ कोमल लगता है। |
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भटियाल :
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पुं० =भटियाल। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भटुआ :
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पुं० [?] वह सूखी हल्की भूमि जिसमें केवल जाड़े की फसल होती है। |
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भटू :
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स्त्री० [सं० भट का स्थानिक स्त्री] १. स्त्रियों के संबोधन के लिए एक आदर-सूचक शब्द। २. सखी। सहेली। |
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भटेरा :
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पुं० [देश] वैश्यों की एक जाति। |
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भटेस :
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पुं० [?] एक प्रकार का पौधा। |
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भटै :
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स्त्री०=भटई। |
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भटैया :
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स्त्री०=भटकटैया। |
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भटोट :
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पुं० [देश] मध्य-युग में यात्रियों के गले में फाँस लगानेवाला ठग। (ठगों की परिभाषा)। |
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भटोला :
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वि० [हिं० भाट+ओला (प्रत्यय)] १. भाट का। भाट-संबंधी। २. भाटों के लिए उपयुक्त। पुं० वह भूमि जो भाटों को निर्वाह के लिए पुरस्कार रूप में मिली हो। |
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भट्ट :
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पुं० [सं०√भट्+तल्] १. ब्राह्मणों की एक उपाधि जिसके धारण करनेवाले दक्षिण भारत, मालव आदि कई प्रांतों में पाये जाते हैं। २. विशिष्ट रूप से महाराष्ट्र ब्राह्मणों की उपाधि। ३. दे० ‘भट’। ४. दे० ‘भाट’। |
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भट्टाचार्य :
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पुं० [सं० भट्ट-आचार्य, द्व० स०+अच्] १. दर्शनशास्त्र का पंडित। २. सम्मानित अध्यापक (पदवी रूप में प्रयुक्त) ३. बंगाली ब्राह्मणों की एक जाति या वर्ग। |
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भट्टार :
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पुं० [सं० भट्ट√ऋ+अण्, वृद्धि] (पदवी रूप में प्रयुक्त)। |
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भट्टारक :
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वि० [सं० भट्टार+कन्] [स्त्री० भट्टारिका] पूज्य। माननीय। पुं० १. राजा। २. मुनि ३. पंडित। ४. सूर्य। ५. देवता। |
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भट्टिनी :
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स्त्री० [सं० भट्ट+इनि+ङीष्] नाटक की भाषा में राजा की वह पत्नी जिसका अभिषेक न हुआ हो। स्त्री० हिं० भट्ट का स्त्री। |
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भट्टी :
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स्त्री०=भट्ठी। |
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भट्ठा :
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पुं० [सं० भ्रष्ट, प्रा० भट्ठ] [स्त्री० अल्पा० भट्ठी] वह स्थान जहाँ कूड़ा०कोयला आदि जलाकर ईटें पकाई जाती है। आँवाँ। |
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भट्ठी :
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स्त्री० [सं० भ्रष्ट, प्रा० भट्ठ] १. वह घिरा हुआ आधान या स्थान जिसमें धातु आदि गलाने अथवा कुछ विशिष्ट प्रकार की चीजें सेकने के लिए आग जलाई जाती है अथवा ताप उत्पन्न किया जाता है। मुहावरा—भट्ठी दहकना= (क) किसी का कारोबार जोरों पर होना। बहुत आय होना। (ख) किसी काम या बात की बहुत अधिकता या जोर होना। २. वह स्थान जहाँ देशी शराब बनती हो। |
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