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भारी  : वि० [हिं० भार] १. अधिक भारवाला। जो आसानी से न उठाया या वहन किया जा सके अथवा जिसे उठाने या वहन करने में अधिक सामर्थ्य या शक्ति व्यय होती हो। जैसे—भारी पत्थर। २. अपेक्षित या सामान्य मात्रा आदि से बहुत अधिक। जैसे—भारी वर्षा, भारी भूकंप, भारी फसल तथा भारी बहुमत। ३. (शरीर अथवा उसका अंग) जिसमें कुछ विकार या दर्द हो और फलतः इसीलिए जो सुस्त और निकम्मा-सा हो गया हो। जैसे—उनका शरीर या सिर आज कुछ भारी है। मुहा०—आवाज भारी होना=गले से ठीक तरह से आवाज या स्वर न निकलना। पेट भारी होना=खाये हुए पदार्थों का ठीक से न पचने के कारण पेट में अपच जान पड़ना। सिर भारी होना=सिर में थकावट जान पड़ना और हलकी पीड़ा होना। कान भारी होना=अच्छी तरह सुनाई न पड़ना। (स्त्री का) पैर भारी होना=गर्भवती होना। पेट में बच्चा होना। ३. व्यक्ति के संबंध में, जिसके मन में अभिमान, रोष या इसी प्रकार का और कोई विकार हो; और इसीलिए जो ठीक तरह से बातचीत न करता या सरल तथा स्वाभाविक व्यवहार न करता हो। जैसे—(क) आज-कल वे हमसे कुछ भारी रहते हैं। (ख) आज उनका मुँह कुछ भारी जान पड़ता है। मुहा०—(किसी अवसर पर) भारी रहना=(क) कुछ न बोलना। चुप रहना। (दलाल) जैसे—अभी तुम भारी रहो, पहले देख लो कि वे क्या कहते हैं। (ख) धीमी या मन्द गति से चलना। (कहार) ४. कार्यों, प्रयत्नों आदि के संबंध में, जिसमें कोई कठिनता या विकटता हो। जैसे—तुम्हें तो हर काम भारी मालूम होता है। ५. समय के संबंध में, जिसमें अधिक कष्ट होता हो या जिसे बिताना सहज न हो। जैसे—(क) गरमी के दिनों में यहाँ की दोपहर भारी होती है। (ख) आज की रात इस रोगी के लिए भारी है। क्रि० प्र०—पड़ना।—लगना। ६. वस्तुओं, व्यक्तियों आदि के सम्बन्ध में, जिसका किसी पर कोई अनिष्ट परिणाम या प्रभाव पड़ता हो या पड़ सकता हो। जैसे—यह लड़का अपने पिता (या भाई) पर भारी है; अर्थात् हो सकता है कि इसके ग्रहों के फलस्वरूप इसके पिता (या भाई) का कोई बहुत बड़ा अनिष्ट हो। क्रि० प्र०—पड़ना। ७. बहुत बड़े या विशाल आकार-प्रकार या रूप-रंग वाला। बहुत बड़ा। बृहत्। जैसे—(क) उनके यहाँ भारी भारी पुस्तकें देखने में आईं। (ख) उनका भाषण भारी भारी शब्दों से भरा था। (ग) सावन में यहाँ भारी मेला लगता है। ८. जो औरों की तुलना में बहुत अधिक बड़ा, महत्त्वपूर्ण या मान्य हो। बहुत बड़ा। जैसे—वे दर्शनशास्त्र के भारी विद्वान् हैं। पद—भारी भरकम या भड़कम=बहुत बड़ा और भारी। जैसे—भारी भरकम गठरी। बहुत भारी=बहुत बड़ा। ९. बहुत अधिक। अत्यन्त। जैसे—यह तुम्हारी भारी मूर्खता है। १॰. जो किसी प्रकार से असह्य या दुर्वह हो। जैसे—(क) क्या मेरा ही दम तुम्हें भारी है ? (ख) मुझे अपना सिर भारी नहीं पड़ा है, जो मैं उनसे लड़ने जाऊँ। क्रि० प्र०—पड़ना।—लगना। ११. किसी की तुलना में अधिक प्रबल या बलवान। जैसे—वह अकेला दो आदमियों पर भारी है। क्रि० वि० बहुत अधिक। उदा०—गो व्यंग्य तुम पै डरपौं भारी।—कबीर।
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भारी पानी  : पुं० [हिं०] १. जलाशयों, नदियों आदि का ऐसा पानी जिसमें खनिज पदार्थों की मात्रा अपेक्षया अधिक हो। २. आधुनिक रसायनशास्त्र में पानी की तरह का एक मिश्र पदार्थ जो आक्सीजन और भारी हाइड्रोजन के योग से बनता है और जिसका उपयोग परमाणुओं के विस्फोट में होता है। (हेवी वाटर)
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भारीपन  : पुं० [हिं० भारी+पन (प्रत्य०)] भारी होने की अवस्था या भाव। गुरुत्व।
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