शब्द का अर्थ
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मच्छ :
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पुं० [सं० मत्स्य; प्रा० मच्छ] १. बहुत बड़ी मछली। मतस्य। २. दोहे का एक भेद जिसमें ७ गुरु और ३४ लघु मात्राएँ होती हैं। ३. रहस्य संप्रदाय में मन, जो सद्वृत्तियों को खा जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
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मच्छ-असवारी :
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पुं० [हिं० मच्छ+सवारी] कामदेव। मदन। (डिं०) |
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मच्छ-घातिनी :
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स्त्री० [हिं० मच्छ+सं० घातिनी] मछली फँसाने की लग्घी। बंसी। |
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मच्छड़ :
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पुं० [सं० मशक] हवा में उड़नेवाला एक प्रसिद्ध छोटा कीड़ा जो भन भन करता रहता है। इसकी मादा काटती और खून चूसती है। पद—मच्छड़ की ईल=बहुत ही तुच्छ और हास्यपद वस्तु। वि० कृष्ण या। कंजूस। |
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मच्छर :
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पुं० [सं० मत्सर] १. डाह या द्वेष। मत्सर। २. क्रोध। गुस्सा। [डिं०) पुं०=मच्छड़। |
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मच्छरता :
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स्त्री० [सं० मत्सर+ता (प्रत्य०)] मत्सर। ईर्ष्या। द्वेष। |
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मच्छरदानी :
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स्त्री० [हिं० मच्छर-फा० दानी] मसहरी। (दे०) |
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मच्छा :
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पुं०=मच्छ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मच्छी :
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स्त्री० १. दे० मछली। २. दे० ‘मक्खी’। |
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मच्छी-काँटा :
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पुं० [हिं० मच्छी+काँटा] १. ऐसी सिलाई जिसमें जोड़े जानेवाले कपड़े के टुकड़ों के बीच में जाली सी बन जाती है। २. कालीन में होनेवाली एक विशेष प्रकार की बुनावट। |
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मच्छीमार :
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पुं० [हिं० मच्छी+मार (प्रत्य)] मच्छुआ। |
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मच्छोदरी :
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स्त्री० [सं० मत्स्योदरी] व्यास जी की माता और शांतनु की भार्या, सत्यवती। |
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