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मूर्त  : वि० [सं०√मूर्च्छ (मूर्च्छित होना)+क्त] १. जिसकी कोई मूर्ति अर्थात् आकार या रूप हो। २. जो किसी प्रकार के ठोस पिंड के आकार या रूप में हो। जिसका कोई भौतिक अर्थात् कड़ा या ठोस रूप हो, और इसीलिए जो देखा या पकड़ा जा सके। साकार। (कान्क्रीट) ३. जिसका महत्त्व या स्वरूप समझ में आ सके। बुद्धि-ग्राह्मा। (टैन्जबल) ४. मूर्च्छित। बेहोश।
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मूर्त-विधान  : पुं० [सं० ष० त०] केवल कल्पना के आधार पर घटनाओं, कार्यों आदि के स्वरूप, चित्र आदि बनाने की क्रिया या भाव। प्रतिभावली (इमेजरी)।
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मूर्तता  : स्त्री० [सं० मूर्त+तल्+टाप्] मूर्त होने की अवस्था या भाव।
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मूर्तत्व  : पुं० [सं० मूर्त+त्व] मूर्त होने की अवस्था या भाव। मूर्तता।
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मूर्ति  : स्त्री० [सं०√मूर्च्छ+क्तिन्, छ-लोप] १. मूर्त होने की अवस्था या भाव। मूर्तता। ठोसपन। २. आकृति। शकल। सूरत। ३. देह। शरीर। ४. किसी की आकृति के अनुरूप गढ़ी हुई विशेषता उपासना, पूजन आदि के लिए बनाई हुई देवी-देवता की आकृति। प्रतिमा। जैसे—सरस्वती की पत्थर या मिट्टी की मूर्ति। ५. चित्र। तसवीर। वि० जो किसी विषय का बहुत बड़ा ज्ञाता या पंडित हो। (यौ० के अन्त में) जैसे—वेद-मूर्ति।
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मूर्ति-कला  : स्त्री० [सं० ष० त०] मूर्तियाँ बनाने की विद्या या हुनर।
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मूर्ति-पूजक  : वि० [सं० ष० त०] जो मूर्ति या प्रतिमा की पूजा करता हो। मूर्ति पूजनेवाला। बुतपरस्त।
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मूर्ति-पूजन  : पुं० [सं० ष० त०] मूर्तियों की पूजा करने की क्रिया या भाव।
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मूर्ति-पूजा  : स्त्री० [सं० ष० त०] १. सगुण भक्ति के अन्तर्गत मूर्ति की की जानेवाली पूजा। २. मूर्तियों की पूजा करने की पद्धति। प्रथा या विधान।
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मूर्ति-लेख  : पुं० [सं० मध्य० स०] वह लेख जो किसी मूर्ति के नीचे उसके परिचय आदि के रूप में अंकित किया गया हो।
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मूर्ति-विद्या  : स्त्री० [सं० ष० त०] १. मूर्ति या प्रतिमा गढ़ने की कला। २. चित्रकारी।
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मूर्तिकार  : पुं० [सं० मूर्ति√कृ+अण्] १. मूर्ति बनानेवाला कारीगर। २. चित्रकार।
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मूर्तिप  : पुं० [सं० मूर्ति√पा] १. पुजारी। २. मूर्तिपूजक।
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मूर्तिभंजक  : वि० [सं० ष० त०] १. मूर्तियाँ तोड़नेवाला। बुतशिकन। २. फलतः जिसका मूर्तियों में विश्वास न हो।
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मूर्तिमान् (मत्)  : वि० [सं० मूर्ति+मतुप्] [स्त्री० मूर्तिमती, भाव० मूर्तिमत्ता] १. जो मूर्त रूप में हो। २. फलतः सगुण तथा साकार। ३. प्रत्यक्ष। साक्षात्।
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मूर्तीकरण  : पुं० [सं० मूर्त+च्वि, इत्व, दीर्घ√कृ+लयुट-अन] [भू० कृ० मूर्तीकृत] किसी अमूर्त तत्त्व को मूर्त रूप देने की क्रिया या भाव।
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