शब्द का अर्थ
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मोहर :
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स्त्री० [फा० मुह्र] १. कोई ऐसी चीज जिस पर का नाम या और कोई चिन्ह अंकित हो और जिसका ठप्पा कागजों आदि पर मालिक की ओर से यह सूचित करने के लिए लगाया जाता है कि यह प्रामाणिक या असली है। मुद्रा। (सील)। क्रि० प्र०—करना।—देना।—लगना। २. उपयुक्त वस्तु की छाप जो कागज या कपड़े आदि पर ली गई हो। स्याही लगे हुए ठप्पे को दबाने से बने हुए चिन्ह या अक्षर। ३. लाक्षणिक रूप में कोई ऐसी चीज या बात जो किसी प्रकार का मुख या विवर ऊपर से पूरी तरह से बन्द कर देती हो। जैसे—सरकार ने हम लोगों के मुँह पर मोहर लगा रखी है। ४. मुगल शासन में सोने का वह सिक्का जिसकी तौल, धातु आदि की प्रामाणिकता सिद्ध करने के लिए टकसाल या शासन का ठप्पा लगा रहता था। |
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समानार्थी शब्द-
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मोहरा :
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पुं० [हिं० मुँह+रा (प्रत्यय)] [स्त्री० मोहरी] १. किसी बरतन का मुँह या ऊपरी खुला भाग। २. किसी पदार्थ का ऐसा अगला या ऊपरी भाग जो प्रायः मुँह के आकार या रूप का हो। ३. सेना की अगली पंक्ति जिसे सब से पहले शत्रु का सामना करना पड़ता है। मुहावरा—मोहरा लेना=सामने से जमकर मुकाबला करना और लड़ना। ४. किसी चीज के ऊपर का छेद या मुँह। ५. वह जाली जो पशुओं के मुँह पर इसलिए बाँधी जाती है कि वे आस-पास की चीजों पर मुँह न डाल सकें। ६. घोड़े के मुँह पर पहनाया जानेवाला एक प्रकार का साज। ७. अँगिया या चोली की तनी या बंध जो स्तनों को अन्दर बन्द रखने के लिए ऊपर से गाँठ दे कर बाँध दिये जाते हैं। ८. शतरंज की गोटी। ९. मिट्टी का वह साँचा जिसमें कड़ा, पिछेली आदि गहने ढाल कर बनाये जाते थे। १॰. लकड़ी शीशे या बिल्लौर का वह बड़ा टुकड़ा जिससे रगड़कर कई तरह की चीजों में चमक लाई जाती है। ११. सोने चाँदी पर नक्काशी करने वालों का वह औजार जिससे रगड़ पर नक्काशी को चमकाते हैं। दुआली। १२. सिगिंया विष। पुं० [फा० मुँह्र] १. कपर्दिका। कौड़ी। २. माला आदि की गुरिया या मनका पुं० दे० ‘जहर मोहरा’। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मोहराना :
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पुं० [फा० मुह्र+आना (प्रत्यय)] वह धन जो किसी कर्मचारी को मोहर करने के बदले में दिया जाय। मोहर करने का पारिश्रमिक। |
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मोहरी :
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स्त्री० [हिं० मोहरा का स्त्री० अल्पा०] १. किसी चीज का अगला या वह भाग जो मुँह की तरह हो। जैसे—पाजामे या बरतन की मोहरी। २. ऊपरी खुला हुआ कुछ अंश या भाग। ३. ऊंट की नकेल। स्त्री० [देश] एक प्रकार की मधुमक्खी जो खान-देश में होती है। |
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मोहरुख :
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वि० [सं० मुमूर्ष] १. जिसका मरण काल आसन्न हो। २. मूर्च्छित। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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मोहर्रिर :
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पुं०=मुहर्रिर। |
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