शब्द का अर्थ
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वह्रि :
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पुं० [सं०√वह (धारण करना)+नि] 1,०अग्नि। २. तीन प्रकार की अग्नियों के आधार पर तीन की संख्या का सूचक शब्द। ३. चित्रक। चीता। ४. भिलावाँ। ५. मित्रविंदा के गर्भ से उत्पन्न श्रीकृष्ण का एक पुत्र। |
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समानार्थी शब्द-
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वह्रि-दैवत :
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वि० [सं० ब० स०] अग्निपूजक। |
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वह्रिकर :
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पुं० [सं० वह्रि√कृ+अच्] १. विद्युत। बिजली। २. जठ राग्नि। ३. चकमक पत्थर। |
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वह्रिकुमार :
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पुं० [सं० ष० त०] एक प्रकार के देवगण। |
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वह्रिनी :
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स्त्री० [सं०] जटामासी। |
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वह्रिभूतिक :
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पुं० [सं० ब० स०] चाँदी। |
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वह्रिभोग :
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पुं० [सं० ष० त०] घी। |
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वह्रिमंथ :
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पुं० [सं०]=अग्निमंथ वृक्ष। |
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वह्रिमित्र :
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पुं० [सं०] वायु। हवा। |
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वह्रिमुख :
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पुं० [सं०] देवता। |
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वह्रिरेता (तस्) :
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पुं० [सं०] शिव। |
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वह्रिलोह :
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पुं० [सं०] ताभ्र। ताँबा। |
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वह्रिलोहक :
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पुं० [सं०] काँसा। |
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वह्रिवीज :
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पुं० [सं०] १. स्वर्ण। सोना। २. बिजौरा नीबू। |
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वह्रिशिखा :
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स्त्री० [सं० ब० स०] १. कलिहारी या कलियारी नाम का विष। २. घी। ३. प्रियवंद। ४. गजपीपल। |
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वह्रिश्वरी :
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स्त्री० [सं० ष० त०] लक्ष्मी। |
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