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विपर्यय  : पुं० [सं० वि+परि√ई (गमन)√अच्] १. ऐसा उलट-फेर या परिवर्तन जिससे किसी क्रम के अन्तर्गत कोई कुछ आगे और कोई कुछ पीछे हो जाय। पारस्परिक स्थान-परिवर्तन करनेवाला हेर-फेर। (ट्रांसपोजीशन)। जैसे—‘पिटारा’ से ‘टिपारा’ में होनेवाला वर्णविपर्यय। व्यतिक्रम। २. उलटकर फिर पहले रूप स्थान आदि में लाना। (रिर्वशन)। ३. कुछ को कुछ समझना। मिथ्या ज्ञान। भ्रम। ४. गलती भूल। ५. अव्यवस्था। गड़बड़ी। ६. नाश। बरबादी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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