शब्द का अर्थ
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शेख :
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पुं० [अ०] [स्त्री० शेखानी] १. पैगंबर मुहम्मद के वंसजों की उपाधि। २. मुसलमनों की चार जातियों में से एक जो अन्य तीनों से श्रेष्ठ मानी गई है। ३. इस्लाम धर्म का उपदेशक। ४. वृद्ध और पूज्य व्यक्ति। पीर। पुं०=शेष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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शेखचिल्ली :
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पुं० [अ+हि०] १. एक कल्पित मूर्ख व्यक्ति जिसके संबंध में बहुत सी विलक्षण और हास्यास्पद कहानियाँ कही जाती है। २. ऐसा मूर्ख व्यक्ति जो बिना समझे-बूझे बहुत बढ़-चढ़कर बे-सिर पैर की बातें कहता हो। |
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शेखर :
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पुं० [सं०√शिखि+अरन्-पृषो०] १. शीर्ष। सिर। माथा। २. सिर पर पहनने का किरीट या मुकुट। ३. सिर पर लपेटी जानेवाली माला। ४. पहाड की चोटी। शिखर। ५. ऊपरी सिरा० ६. उच्चता या श्रेष्ठता का सूचक पद। ७. छंद शास्त्र में टगण के पाँचवें भेद की संज्ञा (॥ऽ।) जैसे—ब्रजनाथ। ८. संगीत में ध्रुव या स्थायी पद का एक प्रकार का भेद। |
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शेखर-चंद्रिका :
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स्त्री० [सं० ष० त०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग। |
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शेखरापीड़ योजन :
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पुं० [सं० ब० स०] चौसठ कलाओं में से एक कला। जिसमें सिर पर पगड़ी माला आदि सुन्दर रूप में पहनाई जाती है। |
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शेखरी :
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स्त्री० [सं० शेखर-ङीष्] १. बंदाक। बाँदा। २. लौंग। ३. सहिंजन की जड़। ४. संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। |
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शेखसद्दो :
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पुं० [अ० शेख+देश सद्दो] मुसलमान स्त्रियों के उपास्य एक कल्पित पीर जो कभी-कभी भूत-प्रेत की तरह उनके सिर पर आते या उन्हें आविष्ट करते हैं। |
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शेखावत :
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पुं० [अ० शेख] राजस्थान के राजपूतों की एक उपजाति। |
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शेखी :
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स्त्री० [फा० शेखी] १. मुसलमानों की शेख नामक जाति या वर्ग का अभिमान या घमंड। २. इस प्रकार का झूठा अभिमान कि हमने अमुक अमुक बड़े काम किये हैं अथवा हम ऐसे काम कर सकते हैं। डींग। ३. झूठी शान। अकड़। क्रि० प्र०—बघारना।—हाँकना। |
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शेखीबाज :
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वि० [अ० शेखी+फा० बाज] [भाव० शेखीबाजी] शेखी बघारने या डींग हाँकनेवाला। |
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